गुरुमाँ



"अरे राम और अल्लाह को
मानने वालों ! जरा हक़ीकत
पर भी तो नजर मारो !
अपनी इन करतूतों से बाहर
आ के जरा पूछो तो सही
राम से , जरा पूछो तो सही
अल्लाह से कि उनकी क्या
मरजी है ! मालिक कि मरजी
क्या है , इसका पता उन्हीं
देहधरी मुरीदों से , अल्लाह
के प्यारों से लग सकता है ।
उन्हीं आशिकों से , उन्हीं
सूफियों से , उन्हीं मौजूदा
सन्तों से लगेगा पता ' उस '
कि मरजी का ! और कौन
बता पायेगा !"

2 comments:

Rishu Amrit said...

gurumaa ki har baat nirali hai

Unknown said...

really nice