अकेलेपन की खुशी

सुहावने इस मौसम में
जब भी सदगुरु तेरी याद आती है
मेरे इस नाजुक दिल की
धड़कन सी रुक जाती है
ऐसा लगता है कि
शायद यह कुछ बतलाती है
तभी तो बिन मौसम के
बरसात चली आती है
सुंदर से संगीत में
तेरे चलने की आहट आती है
जब पलट के देखते हैं
तो हवा की सनसनाहट सुन जाती है
अकेलेपन की यह खुशी
पल - पल तुमसे मिलाती है
होंठो पर हर पल चुप्पी सी छा जाती है
दिल में तेरे नाम की धुन सुना जाती है
जब भी सतगुरु तेरी याद आती है
बिन बादल बरसात चली आती है

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